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बेमौसम बारिश में डूबे तरबूज किसानों के अरमान

 


शिवहर ब्यूरो अरुण कुमार साह की रिपोर्ट

शिवहर। बागमती नदी की रेत पर तरबूज के रूप में सोना उपजाने वाले किसानों की किस्मत इस साल भी दगा देती नजर आ रही है।

शिवहर। बागमती नदी की रेत पर तरबूज के रूप में सोना उपजाने वाले किसानों की किस्मत इस साल भी दगा देती नजर आ रही है। बेमौसम बारिश ने जहां तरबूज, खरबूज, लौकी और खीरा की फसल को बर्बाद कर दिया है। वहीं किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इलाके में तीन दिनों तक हुई बारिश और ओलावृष्टि के चलते पिपराही व पुरनहिया के सैकड़ों किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों ने दिसंबर में खेती शुरू की थी। काफी मेहनत कर खेत तैयार किया था। अब फसल बढ़ने लगे थे। इसी बीच बारिश और बारिश के चलते बागमती नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद फसलें डूब गई है। जलजमाव की वजह से फसलों के सड़ने की संभावना भी बढ़ गई है। ऐसे में किसान हताश है। खैरा पहाड़ी निवासी किसान मनोज महतो ने बताया कि तीन लाख रुपये कर्ज लेकर दस एकड़ जमीन में खेती की थी। सारी मेहनत पर पानी फिर गया है। 

उपर से कर्ज का बोझ बढ़ गया है। अशोक महतो और देवेंद्र महतो ने बताया कि तीन साल से मेहनत पर पानी फिर रहा है। वर्ष 2019 में बेमौसम बारिश और बाढ़ के चलते नुकसान हुआ। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना तथा मौसम की दोहरी मार से किसान कंगाल हो गए। इस साल फसल से लगी उम्मीद भी खत्म हो गई है। उधर, जिला कृषि पदाधिकारी के निर्देश पर पिपराही के प्रखंड कृषि पदाधिकारी गोपाल शंकर पाठक ने बागमती नदी के विभिन्न इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। वहीं बताया कि इससे संबंधित रिपोर्ट डीएओ को सौंपी जाएगी। बताते चलें कि डुब्बाघाट से लेकर पूर्वी चंपारण जिले के देवापुर तक के इलाके में दो हजार एकड़ में तरबूज आदि की खेती होती हैं। तकरीबन 600 किसान इसमें लगे हैं। बेमौसम बारिश से 600 एकड़ से अधिक में लगी फसल पर बर्बादी के बादल मंडरा रहे हैं।

 इससे करीब ढाई सौ किसानों के अरमानों पर पानी फिर गए है। बागमती नदी की बाढ़ के चलते रेत में तब्दील खेतों में तरबूज की दो दशक पूर्व शुरू हुई खेती धीरे- धीरे परंपरागत खेती बन गई। यूपी के किसानों से प्रेरणा लेकर स्थानीय किसानों ने तरबूज की खेती के जरिए आर्थिक रूप से समृद्धि पाई हैं। लेकिन पिछले कई सालों से किसानों की तकदीर साथ नही दे रही। कोरोना, लॉकडॉउन और मौसम की बेपरवाही ने किसानों की कमर तोड़ दी है। तीन दिन पहले हुई बारिश से उत्पन्न जलजमाव ने सैकड़ों एकड़ में लगी तरबूज, खरबूज, खीरा और कद्दू की फसल को बर्बाद कर दिया है।

पिपराही प्रखंड कृषि पदाधिकारी गोपाल शंकर पाठक के द्वारा फसल क्षति खेतों का निरीक्षण किया गया निरीक्षण के बाद बताया कि जांच रिपोर्ट जिला कृषि पदाधिकारी को भेज दिया गया है।

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