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लता वह नाम


रचना

वह दीप- शिखा अंधेरे की,वह कलरव की तान,

वह पूजा का मंत्रोच्चार,वह गीत का प्राण ।

भारत भू का , का ध्रुवतारा,

सुर की विराट ,वाणी की अमृत धारा।

तेरे स्वर में हमने,सुख-दुख को धोया है,

तेरे गान में धरती ने, हरियाली को बोया है।

लता, वह नाम जो जीवन को उच्च आदर्श दे,

लता, वह नाम जो प्रेम-भक्ति को नव उत्कर्ष दे ।

हमारा हर्ष,हमारी पीड़ा,आपके गीत बने आधार,

मिलन, विरह, नफरत, प्रेम,शीतल मलय बयार।

फिर से लेने जन्म को,भारत-भू करे प्रतीक्षा।

बगैर आपके अधूरी धरती और कला की शिक्षा।

(यह रचना राजाराम महतो ,अध्यक्ष, ज्योति कलश,समस्तीपुर(बिहार) के द्वारा लिखा गया है ।)


     विभूतिपुर से छोटन कुमार की रिपोर्ट



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