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गौरवपूर्ण इतिहास, आध्यात्मिक चेतना और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की भूमि बिहार वासियों को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट

 बिहार अपने गौरवशाली अतीत और समृद्ध संस्कृति के कारण विशेष पहचान रखने वाला राज्य रहा है । मेरी कामना है कि समृद्ध गौरवशाली अतीत से आच्छादित बौद्धिक संपदा का केंद्र , प्रथम गणराज्य का स्वाभिमान , अध्यात्मिक चेतना की धुरी , कला साहित्य का संगम एवं अनेक महापुरुषों , विचारकों , संतों और वीरों की पावन धरती बिहार राज्य नित नई ऊंचाइयों को स्पर्श करें और नए नए कीर्तिमान स्थापित करता रहे । उक्त बातें सोनो बाजार निवासी समाज सेवी सह डॉ सुबोध कुमार गुप्ता ने कही । उन्होंने कहा कि राज्य हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाता है । इसी दिन वर्ष 1912 में बिहार प्रान्त का अंग्रेजों द्वारा बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग करके गठन किया गया था । भारत में अंग्रेजों ने अपने प्रभाव को इतना समृद्ध और शक्तिशाली किया था कि इसे किसी भी रियासत के लिए चुनौती देना साधारण कार्य नहीं था । इसी क्रम में 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर का युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी , बंगाल के नवाब , अवध के नवाब , तथा मुगल शासकों की मिली जुली सेना ने लड़ा था । इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत हासिल की और बहुत बड़ा भूभाग बंगाल प्रेसिडेंसी के अंतर्गत ले लिया । जिसमें बंगाल , बिहार , उड़ीसा , असम तथा आसपास के और क्षेत्र भी शामिल थे । बाद में जब शासन व्यवस्था को संभालना बड़े तौर पर कठिन होता गया तब अंग्रेजों ने 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी ने चार राज्यों में विभाजन कर दिया । जिसमे

बांग्ला , बिहार , उड़ीसा और असम इन सभी को राज्यों के रूप में विभाजित कर बंगाल प्रेसिडेंसी से मुक्त कर दिया गया । तब से बिहार राज्य को स्थापना दिवस के रूप में 22 मार्च को मनाया जाता है । आज 110 साल का हो गया हमारा बिहार । एक ऐसा प्रदेश जो देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करता है , यहां अध्यात्म के कई अध्याय जुड़े हैं , ज्ञान हमारी रगों में है , मेहनत ऐसी कि पूरा देश हमारा लोहा मानता है । हर प्रदेश में विशेषताएं होती हैं , लेकिन बिहार में विविधताओं का समागम है । यही हमारी ताकत है । बिहारीपन सादगी और सरलता का प्रतीक है । समृद्ध भाषाशैली हमारी पूंजी है । हर बिहारी के लिए अपने इतिहास , अपनी विरासत को जानना जरूरी है , क्योंकि कोई समाज अपने अतीत को जाने बिना आगे का रास्ता नहीं बना सकता । हमारा अतीत गौरवशाली है । दुनिया को राह दिखानेवाला रहा है , फिर हम क्यों न याद करें अपनी विरासत और परंपरा को । इसी धरती ने सबसे पहले पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया । हमारी भाषाएं भोजपुरी , मैथिली , मगही , वज्जिका और अंगिका की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा रही है । नई पीढ़ी के लिए अपनी विरासत को जानना और भी जरूरी है । हम सब मिल कर अपने स्वर्णिम इतिहास को खुशहाल बिहार बनाने का प्रेरणास्रोत बनाएं ।अपने शानदार इतिहास को याद करें और खुशहाल भविष्य का संकल्प लें । आप हम अपने गौरवशाली इतिहास का स्मरण करते हुए यह संकल्प लें कि हम सब मिल कर बनाएंगे बुलंद बिहार ।

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