भलुनी धाम में यक्षिणी स्वरूप में विराजमान है माँ। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हजारों श्रद्धालुओं ने किया दर्शन।
चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट।
दिनारा (रोहतास) ,बिक्रमगंज अनुमंडल से करीब 12 किमी दूर दिनारा प्रखंड में भलुनी धाम है। इस धाम में मां यक्षिणी भवानी का मंदिर हैं। इसे सिद्ध शक्ति पीठ माना जाता है। इस धाम में यक्षिणी स्वरुप में मां दुर्गा विराजमान है। मां के दरबार में साल में दो बार मेला लगता है। नवरात्र में हजारों की तादाद में भारी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन व पूजन के लिए जुटते हैं।
वासंती नवरात्र का मेला एक माह तक चलता है। धाम में नवरात्र के दिनों में सुबह तीन बजे से ही मां के दर्शन व पूजन के लिए भक्तों की लंबी कतार लग जाती है। यक्षिणी भवानी को श्रद्धालुजन गंवई जुबान में भलुनी भवानी कहकर संबोधित करते हैं। शास्त्रों में वर्णन में है कि भगवान इन्द्र ने एक लाख वर्ष तक इस धाम में तपस्या की थी। तब माता ने उनको दर्शन दिया था। कहा जाता है कि कभी यह इलाका घना जंगल था। भालू बहुत संख्या में रहते थे, इसलिए इस धाम का नामकरण भलुनी धाम हो गया। आचार्य देवबंश पंडित बताते हैं यक्षिणी धाम यानी भलुनी धाम यह धाम कंचन नदी के तीर पर अवस्थित है। देवी भागवत पुराण, देवी पुराण, मार्कण्डेय पुराण शक्ति संगम, तंत्रकाली, खंड गायत्री रहस्य पद्धति, तथा योगिनी तंत्र आदि ग्रंथों में आदि शक्ति जगदंबा यक्षिणी भवानी को काली, उमा, दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती नाम से संबोधित किया गया। सालो भर माँ का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का भीड़ लगा रहता हैं। नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु माता का दर्शन के लिए भारत के विभिन्न राज्यों से आते हैं। माँ का केवल प्रसाद ग्रहण करने से ब्रम्हहत्या जैसे पाप भी दूर हो जाते हैं।
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