वर्तमान समय में हो रही शादी समारोहों की एक झलक
सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
आजकल की शादी समारोहों में भाग लेने वाले तकरीबन 80 % लोग दुल्हा-दुल्हन की शक्ल भी नहीं देखी । उसके नाम को नहीं जाना । अक्सर उनका तो विवाह समारोहों में जाना ओर वापस आना भी हो गया , पर उन्होने स्टेज कहां सजी है युगल कहां बैठा है , बेठा भी है या नहीं , बारात आई या नहीं । भारत में लगभग 70 % लोग अनावश्यक ही है, जिन्हें आपके विवाह से कोई रुचि नहीं । वे केवल आपका नाम जानते हैं , घर का लोकेशन जानते हैं और आपकी पद प्रतिष्ठा जानते हैं , दावत में आते हैं और स्वादिष्ट एवं विविधता पुर्ण व्यंजनों का स्वाद चखने के बाद वापस लोट जाते हैं । विवाह कोई सत्यनारायण भगवान की पूजा नहीं है कि हरेक राह चलते लोगों को रोक रोककर प्रसाद वितरण किया जाए । आपके रिस्तेदारो और बहुत निकटतस्थ मित्रों के अलावा आपके विवाह में किसी को भी कोई रुचि नहीं होती । ऐसे में ताम - झाम , पंडाल , झालर , आर्केस्ट्रा , डीजे , दहेज का महंगा सामान इत्यादि एक संक्रामक बिमारियों का काम करता है । जिसका मुख्य कारण यह है कि लोग आकर इसे देखने के उपरांत वे भी सोचते हैं कि में भी ऐसा ही इंतजाम करुंगा , बल्कि इससे बैहतर करुंगा , और शायद लोग करते भी हैं । चाहे उनकी चमड़ी तक क्यों ना बिक जाय । लेकिन 70 % अनावश्यक लोगों को अपना वैभव प्रदर्शन करने में अपनी जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं , यहां तक कि कर्ज भी ले लेते हैं । और उधर विवाह में आमंत्रित लोग गेस्ट हाउस के अंदर सीधे भोजन तक पहुंचकर भोजन उदरस्थ करने के बाद लिफाफा पकड़ाकर निकल लेते हैं । आपके लाखो रुपए का ताम - झाम उनकी ऑखो में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है । परंतु आप उसकी किस्तें जीवन भर चुकाते हो । क्या इस अपव्यय और दिखावे को रोकना नहीं चाहिए ।
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