बारिश नहीं होने से सूख रही धान की फसल
वैशाली: मौसम की दगाबाजी से किसान पसोपेश में है। भादो का महीना सूखा बीत रहा है। बारिश नहीं होने से धान के खेतों में दरारें पर आई है। जिससे किसान सख्ते में हैं।
बुधवार को यहां किसानों ने सूखते धान की फसलों को दिखाते हुए बताया कि पूंजी लगाकर रोपनी की थी। जबकि बारिश के अभाव में जल रही है। बारिश नहीं होने के कारण धान के खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पर आई है। जिससे फसल सुखकर खराब हो रही है। धान उत्पादक किसानों ने बताया कि इसकी रोपनी करने में काफी खर्च आती है। पहले अधिक कीमत पर बीज खरीद कर खेतों में गिराते हैं। उसके बाद बिचड़े को उखाड़ कर रोपनी करते हैं। इसके लिए खेतों को कदवा करने, पानी पटाने, और मजदूर से रोपनी कराने में प्रति कट्ठा 6 सौ से 700 खर्च आती है। किसानों ने बताया कि महाजन से कर्ज लेकर धान की रोपनी की थी। उन्हें विश्वास था कि मौसम का साथ होगा और फसल अच्छी होगी। जबकि प्रकृति की दगाबाजी ने किसानों के कमर तोड़ दी है। धान के खेतों में पड़ी दरारें देख किसानों के कलेजे चाक हो जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें समझ में नहीं आता कि करें करें तो क्या करें। धान की अच्छी फसल सिंचाई कर नहीं ली जा सकती। इसके लिए प्रकृति का उदार होना जरूरी है। जब तक बारिश नहीं होगी खेतों में अच्छी नमी की कमी होने से अच्छी फसल लेनी मुश्किल होगी। धान की जड़ें हमेशा पानी से भीगी होनी चाहिए।
श्लेषा दिया धोखा अब मघा नक्षत्र भी रुठा:
धान उत्पादक किसानों का कहना है कि श्लेषा नक्षत्र धोखा दिया। इस नक्षत्र में बारिश नाम की चीज नहीं हुई। इस नक्षत्र की बारिश फसलों ही नहीं बल्कि जीव जंतु के लिए काफी लाभदायक होता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस नक्षत्र की बारिश सिर्फ फसलों के लिए ही फायदेमंद नहीं बल्कि पपीहा चिड़िया इसी नक्षत्र की बूंदे से गर्भधारण करती है। जबकि इस नक्षत्र ने धोखा दिया। मघा नक्षत्र का आगाज होने के बाद भी बारिश का कोई अता-पता नहीं दिख रहा है। किसानों का कहना है कि मघा नक्षत्र अच्छी बारिश की पर्याय मानी जाती है लेकिन यह भी रूठा चल रहा है। इधर किसानों द्वारा सूखते फसल को बचाने के लिए सिंचाई भी की जा रही है। लेकिन अधिकतर जगहों पर साधन का अभाव दिख रहा है। नहरें पानी बिहिन है, सरकारी नलकूप बंद पड़े हैं, ग्रामीण किसानों द्वारा पूंजी के अभाव के कारण बहुत कम जगह पर बोरिंग कराए गए हैं।
25 से 30 फीसद ही महुआ में हुई है धान की रोपनी:
महुआ का इलाका धान उत्पादन के लिए मशहूर मानी जाती है। जबकि इस बार बारिश की अभाव में किसान इसकी रोपनी ही नहीं कर पाए। कुछ किसान तो बारिश की कमी के कारण बिचड़े ही नहीं गिराए। जिन किसानों ने बोरिंग से पानी देखकर बिचड़े गिराए भी थे वह बारिश के अभाव में उसकी रोपनी नहीं कर सके। किसानों का कहना है कि पानी खरीद कर ट्रैक्टर से कदवा कराना, ऊंची मजदूरी देकर रोपनी कराना और फिर समय समय पर सिंचाई करना उनके बस की बात नहीं है। इससे तो उनकी पूंजी भी नहीं निकलेगी। महुआ के ताजपुर बुजुर्ग,कड़ियों, माधोपुर, लक्ष्मीनारायणपुर, भदवास, जहांगीरपुर सलखनी, समसपुरा, सिंघाड़ा, कन्हौली, धनराज, मिर्जानगर, पहाड़पुर, गरजौल, मानपुरा, रसूलपुर मुबारक आदि दर्जनों गांवों में धान की खेती की जाती है। जहां इस बार जरूरत के मुताबिक आधी से भी काफी कम रोपनी हो पाई है। जिन किसानों ने रोपनी की है वे मौसम की बेरुखी देख सदमे में है।
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