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महा भंडारे के साथ श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ का हुआ विधिवत समापन


वैशाली:
महुआ मेहनती और परिश्रमी व्यक्ति ही भगवान श्री कृष्ण को पसंद आते हैं। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा भी है कि तुम कर्म करो। फल की चिंता हम पर छोड़ दो। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में कर्म करना जरूरी है। ताकि उसे मेहनत का फल मिल सके।

यह बातें बीते शनिवार की रात महुआ के पानापुर स्थित राधे कृष्ण मंदिर पर चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर कथावाचक व्यास ध्रुव नारायण दास ब्रह्मचारी ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत गीता अपने आप में संपूर्ण है। इसके सुनने मात्र से मानव जीवन सफल हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण द्वारा रचित गीता सारे ग्रंथों में उत्तम है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के वात्सल्य रूप की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने देवकी के गर्भ से जन्म अवश्य लिया लेकिन पूरा वात्सल्य रूप का आनंद माता यशोदा को दिया। उन्होंने बचपन में ही पूतना जैसी राक्षसी का वध किया। उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रवचन का रसपान कराते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण माता यसोदा के द्वारा रस्सी में बंध जाते थे। उन्होंने माता की ममता को कभी नहीं काटा। कथावाचक ने कहा कि धरती पर जब भी कष्ट आया है। उससे उबारने के लिए उनका अवतरण हुआ है। यहां पर वृंदावन से आए दिव्याम्वर दास ब्रह्मचारी, अनिरुद्ध प्रभु, लीला पुरुषोत्तम दास, हरिमोहन प्रभु, सर्व साक्षी प्रभु के सबल योगदान में तीन दिवसीय श्री कृष्ण जन्मोत्सव के साथ मद भागवत कथा का विधिवत समापन किया गया। यहां प्रवचन सुनने के लिए महिला श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होती रही। वह भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में इस कदर रम गई कि खुशी में मग्न होकर श्री कृष्ण भक्ति में लीन रही। कथा के पूर्व आरती में तो श्रद्धालुओं की भक्ति सिर चढ़कर बोल रही थी। श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की आरती में मग्न होकर लीन हो जाते थे। यहां खासियत यह रही कि कथा सुनने के लिए युवा, युवतियां, बच्चे भी भक्ति में लीन होकर पहुंचते थे। यह कार्यक्रम ग्रामीणों के सहयोग से सफल हुआ। कथा समापन पर रविवार को यहां महा भंडारा का आयोजन किया गया। जहां हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान के प्रसाद का पंकत किया। कथा समापन पर समस्त श्रद्धालुओं ने गोविंद गोपाल कृष्ण मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा गाकर स्थल को भक्तिमय बना दिया। देवी देवताओं के जयघोष गूंज उठे।

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