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!!जय श्री पितृ देवो भव:!! सृष्टि में दो ही देव‍ है, १.देव, २.पितृ देव

!!जय श्री पितृ देवो भव:!! सृष्टि में दो ही देव‍ है, १.देव, २.पितृ देव


देवताओं
की आराधना उपासना नित्य नियमित रूप से सभी करते हैं। परन्तु पितरों की आराधना, उपासना,जल फल, फूल, तर्पण व पिंडदान वर्ष भर या नित्य नियमित विरलें ही करते हैं और वर्ष में दो बार आश्विन कृष्ण तथा चैत्र कृष्ण में तो बहुत लोग तर्पण, पिंडदान,अन्न दान श्राद्ध कर्म करते हुए आशिर्वाद प्राप्त करने हेतु सच्चे हृदय से धर्मार्थ पितरों को प्रसन्न रखने का हरक्षण प्रयास करते हैं।


इंडियन एस्ट्रोलाजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट इंडिया ® झारखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष- डॉ महर्षि जे० जाह्नवी "राज़-ज्योतिष" अधिवक्ता, भविष्यवक्ता, नास्त्रेदमस, झारखण्ड-भारत, जसीडीह, देवघर-वैधनाथधाम के शोध-अनुसंधान द्वारा पितृपक्ष में,

  यदि जाने-अनजाने में भूल हो गई हो तो, पितरों के रूष्ट नाराज होने के कई संकेत दिखें हैं। जिसे आम भाषा में पितृदोष कहते हैं।

 १.यदि पितृदोष के कारण जातक (व्यक्ति) को मिहनत करने के बाद भी मिहनतनामा नहीं मिलता है,बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं तनाव, विध्न बाधाओं से पीड़ित रहता है। कारोबार में नुकसान तथा मेधावी छात्रों के केरियर में उलझनें आती हैं।

२.पितृदोष के कारण परिवार में मांगलिक कार्यों में में बाधाएं, दाम्पत्य जीवन में कटुता, मन-मुटाव, अविवाहितों के विवाह में बेवजह विध्न बाधाओं का सामना ,युवा युवतियों की समय पर विवाह नहीं होती है। असमय में विवाह होती है।

३.घर में विचित्र दुर्गन्ध, और दुर्गन्ध का पता नहीं चलता, बिना वजह केस, फौजदारी -मुकदमा,पास पड़ोसियों से झगड़ा झंझट, घर में टूटे बालों का यत्रतत्र बिखरे होना।

४. पूर्वजों को सपने में दिखना, रोने व कुछ खास संकेत।

५.शभ कार्यों में अड़चन, पर्व त्यौहार में झगड़ा होना, दुर्घटना घटना,शुभ कार्यों अशुभ प्रभाव, अचानक मौत हो जाना। दुःख दारिद्री से परिवार में घोर अशांति का वातावरण। सुख शांति समृद्धि की जगह अशांति और धोर मानसिक तनाव विध्न बाधाओं के संकेत। 

!!पितृपक्ष में कदापि न करें ऐसे कार्य!!


१.पितृपक्ष में १५दिनों तक घर में सभी प्राणियों को सात्त्विक माहौल सात्त्विक आहार भोजन अवश्य ही लें, मांस, मछली, अंडे शराब, लहसुन प्याज,न लें,मौज-मस्ती 100% बंद हो,भोग-विलास नहीं, पुर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना, रहना चाहिए।

२.श्रादध श्राद्ध कर्म करने वाले को पंद्रह दिनों तक बाल, दाढ़ी, नाखूनों को नहीं कटवाने चाहिए।

३. शास्त्रानुसार पितृपक्ष में श्राद्ध पक्ष में सात्विक आहार के साथ शाकाहारी में लौकी,खीरा,चना, जीरा और सरसों के साग नहीं खाने चाहिए यह वर्जित वस्तुओं में हैं।

४.पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करनी चाहिए। शादी, मुंडन संस्कार,सगाई व गृहप्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य पूर्ण रूपेण वर्जित है। पितृपक्ष में अपने विचारों और विवेक से शोकाकुल परिवेश में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। सभी अशुभ होते हैं।

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