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पर्यावरण संरक्षण में कार्यशाला से आएगी जागरूकता: डॉ आनंदवर्धन


नालंदा संवाददाता:
आज दुनियां के सामने दो संकट सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ी है,एक विश्व युद्ध और दूसरा पर्यावरण संकट। इन दोनो हीं समस्याओं से अंतिम रूप से मानव और धरातल पर मौजूद समस्त चराचर प्रभावित होगें। विगत कुछ दशकों से अनियंत्रित मानवीय क्रियाकलाप और लक्ष्यहीन विकास ने पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर दिया,जिससे कई गंभीर परिणाम दिखाई दे रहे हैं। ये बातें शुक्रवार को नालंदा कॉलेज में आयोजित विश्व ओजोन दिवस और सात दिवसीय पर्यावरण संरक्षण जागरूकता कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ आनंदवर्धन ने कही। 

कार्यशाला से लोगों में आएगी जागरूकता


डॉ आनंदवर्धन ने आगे कहा कि जिले में ऐसा पहला कार्यशाला आयोजित हुआ जिससे प्रशिक्षित बच्चे लोगों के बीच जाकर जागरूकता लाने का कार्य करेंगे और पर्यावरण स्वच्छ रखने में अपनी भूमिका अदा करेंगे। वहीं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ रत्नेश अमन ने कहा कि नालंदा कॉलेज नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा जिसमे यह पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दों पर यह कार्यशाला का आयोजन भी है। पूरा कॉलेज परिवार इस दिशा में कार्य करने के लिए दृढ़संकल्प है।

प्रकृति को नजदीक से समझने का मिला अवसर

भूगोल विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के समन्वयक डॉ भावना ने कहा कि हमारे सभी बच्चों को इस कार्यशाला से प्रकृति व पर्यावरण को नजदीक से समझने का अवसर मिला। फील्ड वर्क के दौरान इन सबको बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। इस तरह के आयोजन आगे भी होता रहेगा ताकि बच्चों में उत्साह बना रहे।

कई लोग हुए सम्मानित


कार्यशाला में विभन्न विषयों पर व्याख्यान देने वाले रिसोर्स पर्सन को प्रमाण पत्र देखकर किया गया सम्मानित,जिनमे राजनीति विभाग के डॉ बिनित लाल, डा श्रवण कुमार,उर्दू विभाग के शाहिदुर रहमान,वनस्पति विभाग के डॉ सुमित कुमार और कृषि विभाग जमुई के मुकुल कुमार को समानित किया गया। इसके अलाव सभी प्रशिक्षित छात्रों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

प्रशिक्षु आइरिश वर्मा,भावना,धीरज कुमार,संजीदा बानो व सुजीत कुमार ने कार्यशाला के अपने अनुभव लोगो के बीच साझा किए।

आगे भी होते रहेंगे पर्यवरणीय कार्यशाला

गौरैया विहग फाउंडेशन निदेशक व कार्यक्रम के सह समन्वयक राजीव रंजन पाण्डेय ने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन में भूगोल विभाग की अहम भूमिका रही। इस तरह के आयोजन शिक्षण संस्थानों में किए जाने से जागरूकता आएगी और प्रशिक्षित बच्चे प्रकृति सेवक बनकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगे।

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