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गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने वाले को जीवन मे कभी नही आता दुःख, गोपा अष्टमी कल मनाई जाएगी


रिपोर्ट चारोंधाम मिश्रा दावथ (रोहतास) 

गौ अष्टमी के दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आज के दिन अगर श्यामा गाय को भोजन कराएं तो और भी अच्छा होता है। 

गाय को हिन्दू मान्यताओं में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। गाय को गोमाता भी कहा जाता है, गाय को मां का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, उसी प्रकार गौ माता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्‍थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि गोपाष्‍टमी के दिन गौ सेवा करने वाले व्‍यक्‍ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता।

गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और यहां तक कि उनका मूत्र भी स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है। यह त्‍योहार हमें याद दिलाता है कि हम गौ माता के ऋणी हैं और हमें उनका सम्‍मान और सेवा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं में यह व्‍याख्‍या है कि किस तरह से भगवान कृष्‍ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा की है।

आधुनिक युग में यदि हम गोपाष्टमी पर गौशाला के लिए दान करें और गायों की रक्षा के लिए प्रयत्न करें तो गोपाष्टमी का पर्व सार्थक होता है और उसका फल भी प्राप्त होता है। तनाव और प्रदूषण से भरे इस वातावरण में गाय की संभावित भूमिका समझ लेने के बाद गोधन की रक्षा में तत्परता से लगना चाहिए। तभी गोविंद-गोपाल की पूजा सार्थक होगी।

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