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शिबू सोरेन के जन्मदिन पर बच्चों के बीच गर्म वस्त्र का वितरण


सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट

झारखंड के पुर्व मुख्यमंत्री सह दिशोम गुरु शिबू सोरेन के 79 वां जन्म दीन के शुभ अवसर पर झामुमो पार्टी के बिहार प्रदेश संयोजक श्री पृथ्वीराज हेमब्रम के द्वारा सेंकड़ों बच्चों के बीच गर्म वस्त्र वितरण किया गया है । इसके पूर्व झारखंड के पुर्व मुख्यमंत्री माननीय शिबू सोरेन के चीत्र पर माल्यार्पण किया गया । श्री हेम्ब्रम ने बताया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हुआ है । वे एक भारतीय राजनेता हैं तथा वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं । 

श्री हेम्ब्रम ने आगे बताया कि बिति वर्ष 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब ये कोयला मंत्री बने , लेकिन चिरुडीह कांड जिसमे कुल 11 लोगों की हत्या हो गई थी , उस कांड में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफा देना पड़ा । वे दुमका लोकसभा सीट से छठी बार सांसद चुने गए हैं । उन्होंने आगे कहा कि झामुमो के अध्यक्ष दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में क्ई उतार चढ़ाव देखे हैं । ग्यारह जनवरी 1944 को हजारीबाग जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत नेमरा गांव में उनका जन्म हुआ तो दुसरी ओर दुमका ने उन्हें गुरु और दिशोम गुरु का दर्जा दिया ।

 उन्होंने आगे कहा कि बाल्यावस्था में शिबू सोरेन ने अंग्रेजों के जमाने में महाजनों की जुल्म को करीब से देखे और सहे भी हें । महाजनों के ज़ुल्म का शिकार उनके पिता सोबरन सोरेन समाज में व्याप्त हंड़िया दारु के प्रचलन को जड़ मुल से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेकर घर से निकल पड़े थे । आदिवासी समाज में व्याप्त कुरितियों को दुर करने के लिए श्री सोरेन धनबाद के टुन्डी प्रखंड छेत्र में आश्रम स्थापित कर लोगों को संदेश देने लगे । 

उन्होंने शिबू सोरेन को झारखंड अलग राज्य आंदोलन को नये सिरे से शुरू करने का निर्देश दिए । शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है , विषम परिस्थितियों में भी वे संथाल परगना की जनता में लोकप्रिय हें । आयोजित कार्यक्रम में श्री हैम्ब्रम के साथ पुर्व मुखिया सह प्रखंड अध्यक्ष राजू कॉल , पुर्व प्रमुख बिरेंद्र हैम्ब्रम के अलावा जैम्स हॉसदा , महेंद्र दास , वार्ड सदस्य किशोरी दास , राजेंद्र दास , वीजय मुर्मू , संतोष साव , दिलीप पासवान , बाल्मिकी दुबै तथा रविंद्र टुडू सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व छोटे छोटे बच्चे शामिल थे ।

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