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पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा कर रहें हैं पक्षियों की गिनती। झाझा रेलवे तालाब के आलावे राजा आहर में पक्षियों की संख्या में हुई वृद्धि: अरविन्द मिश्रा पक्षी विशेषज्ञ


जमुई जिला ब्यूरो बीरेंद्र कुमार की रिपोर्ट

दिनांक 6 फरवरी को झाझा-जमुई में तीन जलाशयों में जल पक्षियों की गणना की गई I झाझा के रेलवे ताल में तो पिछली बार से बहुत अधिक संख्या में जल पक्षी देखे गए I यहाँ मुख्य रूप से लेसर व्हिसलिंग डक यानि छोटी सिल्ली का बसेरा है I पिछली बार यहां इस पक्षियों को चार से पांच सौ की संख्या में गिना गया था जबकि इस बार ये एक हजार से भी ज्यादा संख्या में दिखे I इस बार इस ताल में जलकुम्भी की सफाई भी नजर आई जिसके कारण उन पक्षियों को भी देखना आसान हो गया जो इनमें छुप जाते थे I किनारे उगी झाड़ियों और वृक्षों पर गोल्डेन ओरियल, ब्राउन श्राईक, वाइट थ्रोटेड किंगफ़िशर, कॉपरस्मिथ बारबेट, बगुले, एशियन ओपेनबिल आदि अन्य पक्षी भी नजर आए I झाझा के वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री उदय शंकर सिंह भी इस गणना में शामिल हुए I दूरबीन से इन पक्षियों की सुन्दरता को देखकर उन्होंने कहा कि आज से उनका पक्षियों से लगाव जागृत हो गया I इसके बाद वो राजा आहर में भी बिहार के एशियाई मध्य शीतकालीन जल पक्षियों की गणना कार्यक्रम में शामिल रहे I

नागी के निकट लगभग 50 एकड़ में फैले राजा आहर में सैकड़ों की संख्या में जल पक्षी दिखाई दिये जिनमें लालसर, कूट, गडवाल, गार्गेनी, शोवेलर, कॉटन पिग्मी गूज, इंडियन मूरहेन, पर्पल मूरहेन, ब्रोंज विंग्ड जकाना, ग्रे हेरॉन, पर्पल हेरॉन जैसे प्रवासी और देशी पक्षी शामिल थे I परन्तु सबसे रोचक तो यहां दो फाल्केटेड डक का दिखना रहा I पूरे देश में यदा कदा दिखाई देने वाला फाल्केटेड डक यानि काला सिंखुर सन 2018 से लगातार जमुई जिले में कभी देवन आहर, कभी नागी-नकटी तो कभी बेला टांड में देखा जा रहा है I खास बात यह है कि यह पक्षी हजारों के बीच बस एक ही दिखाई देता है जिसे खोजी आँखे ही देख पाती हैं I लेकिन इस वर्ष यह राजा आहर में दिखा वो भी दो की संख्या में, जो एक शुभ संकेत है I

अंत में नकटी पक्षी आश्रयणी में जल पक्षियों की गणना की गई जो बेहद संतुष्टिपूर्ण रहा I यहां सात हजार से ज्यादा जल पक्षी दिखाई दिए जो संभवतः यहाँ के लिए एक रिकॉर्ड है I वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री पीयूष बर्नवाल से लेकर सहायक वन संरक्षक सुश्री मेघा यादव, झाझा के वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री उदय कुमार, वनपाल अनीश राठोर, स्थानीय श्री सहदेव यादव और वन रक्षियों ने नावों से लेकर बाकी सारी व्यवस्था की और पूर्ण सहयोग दिया I हालांकि नकटी में भी जल क्षेत्र में काफी कमी देखी गई परन्तु पक्षियों की संख्या तो सामान्य वर्षों से अधिक थी I यहाँ कई वर्षों के बाद स्टेपी ईगल को देखा गया जिसने एक बगुले का शिकार कर अपना भोजन बनाया था I पूरी दुनियां में इस पक्षी को अत्यंत संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है क्योकि इसकी संख्या तेजी से घट रही है I जबरदस्त ताकतवर यह पक्षी चीन, रूस और उससे भी उत्तर मंगोलिया से हमारे देश में शीतकाल में आता है I इसके अलावा सबसे अधिक संख्या में यहाँ कूट और लालसर पक्षी दिखाई दिए और अन्य पक्षियों में राजहंस, कॉटन पिग्मी गूज, यूरेशियन वीजन, मलार्ड, गार्गेनी, व्हाइट आईबिस, ब्लैक आईबिस, टफ्टेड डक और बड़ी संख्या में पनडुब्बी आदि शामिल थे I

बिहार के एशियाई मध्य शीतकालीन जल पक्षियों की गणना का कार्यक्रम अरविन्द मिश्रा के नेतृत्व में किया गया जिनके साथ पक्षीविद दीपक कुमार झुन्नू, भारतीय वन्यजीव संस्थान के क्षेत्रीय सहायक आशुतोष कुमार और पक्षी प्रेमी आशु मिश्रा शामिल थे I करीब दस की संख्या में जमुई में प्रशिक्षित बर्ड गाइड्स ने भी इस गणना में बढ़ चढ़कर भाग लिया जिनका उत्साह देखते ही बनता था I इनमें संदीप कुमार, रविन्द्र कुमार, पिंटू कुमार यादव, युगल कुमार, श्याम सुंदर यादव, मनीष कुमार यादव, अवधेश कुमार, बमबम कुमार, सनोज कुमार, प्रदीप कुमार आदि शामिल थे जिनके साथ वनरक्षी संजीत कुमार भी सहयोग कर रहे थे II 

नागी और नकटी में पिछले वर्ष गणना में पक्षियों की काफी कम संख्या देखी गई थी जिसका मुख्य कारण यहाँ रात के अँधेरे में मछली के शिकार के लिए खासी संख्या में मछुआरे झील में प्रवेश करते थे और पक्षी यहाँ टिक नहीं पाते थे I पिछले वर्ष से विभागीय स्तर पर स्थानीय लोगों के सहयोग से मछुआरों की गतिविधियों पर नियंत्रण कायम हुआ जिसका परिणाम है कि नागी-नकटी में पक्षियों की संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई I इको विकास समिति के अध्यक्ष श्री सहदेव यादव कहते है कि मन उदास हो जाता है जब इन जलाशयों में पक्षी कम उतरते हैं I

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