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सूर्यपुरा की बेटी को महाराष्ट्र में मिला सम्मान, जिले का नाम किया रौशन


महाविद्यालय के प्रशासक दिलीप कुमार ने छात्रा को दी बधाई

बिक्रमगंज(रोहतास)। शहर के अंजबित सिंह महाविद्यालय के लिए फरवरी माह उपलब्धि भरा रहा । इस महाविद्यालय के छात्र रहे चक्रधारी शरण सिंह को पटना उच्च न्यायालय का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया तो वहीं दूसरी ओर स्नातक की छात्रा सूर्यपुरा की बेटी गुड़िया ने महाराष्ट्र में आयोजित राष्ट्रीय हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर जिले के नाम के साथ-साथ महाविद्यालय का नाम रौशन किया है ।

मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में अंजबीत सिंह महाविद्यालय के स्नातक की छात्रा गुड़िया कुमारी ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है । श्री शरण एवं गुड़िया कुमारी की इस सफलता पर महाविद्यालय प्रशासक दिलीप कुमार के साथ-साथ कॉलेज प्रशासन ने उसे बधाई दी है । प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी का मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त) शिवाजीनगर पूणें 05 में हिंदी विभाग द्वारा विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में गुड़िया को प्रथम स्थान मिला । डॉ ओमप्रकाश शर्मा (हिंदी के सुप्रतिष्ठित कहानीकार, अनुवादक तथा पूर्व प्रोफेसर हिंदी विभाग आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय, पूणें) का वैश्विक रोजगार के विषय पर व्याख्यान आयोजित किया जा रहा है । डॉ ओमप्रकाश शर्मा से छात्र और प्राध्यापक मुक्त संवाद कर सकते हैं तथा संबंधित विषय के संदर्भ में यदि कोई जिज्ञासा हो तो संवाद स्थापित कर सकते हैं । हिंदी विभाग ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया था । इस प्रतियोगिता के अंतर्गत पूरे भारत से 220 से अधिक निबंध प्राप्त हुए । गुड़िया कुमारी मूलतः सूर्यपुरा प्रखंड के खरोज गांव की निवासी है । आठवीं तक की पढ़ाई अपने गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय से पूरी कर दसवीं तक की पढ़ाई सूर्यपुरा राजेश्वरी


उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी की है । इंटरमीडिएट की पढ़ाई अंजबित सिंह महाविद्यालय बिक्रमगंज से की है और अभी उसी महाविद्यालय में स्नातक (हिंदी) प्रथम वर्ष की छात्रा है । गुड़िया ने बताया कि बचपन से ही मुझे पढ़ाई-लिखाई को लेकर गहरी रुचि रही है । आस-पास के ग्रामीण परिवेश में शिक्षा की बेहतर सुविधाओं के अभाव (खासकर लड़कियों के लिए) को देखकर धीरे-धीरे यह समझ आया कि शिक्षा ही हर सफलता की कुंजी है । शिक्षा के माध्यम से ही खुद को और समाज को बेहतर बनाया जा सकता है । इसलिए पढ़ाई के साथ- साथ कभी-कभी मैं बच्चों को पढ़ाने का काम भी करती हूं, ताकि खुद अपने पैरों पर खड़ी होकर मैं आगे उच्च शिक्षा को प्राप्त करने में सक्षम हो सकूं और अपने मध्यवर्गीय परिवार के आर्थिक बोझ को भी साझा कर सकूं। विकास के दौर में अपने आस-पास के परिवेश को पिछड़ता देख शुरू से ही मैं एक प्रशासनिक अधिकारी या शिक्षाविद् बनना चाहती हूं, ताकि अपने इलाके, जिले, राज्य और देश का नाम ऊंचा कर सकूं । महाविद्यालय प्रशासक दिलीप कुमार , प्रोफेसर एवं कर्मियों के प्रति आभार प्रकट किया ।

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