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भक्तों की महिमा अतुलनीय: कथावाचक पंडित कुशेश्वर


महुआ महावीर मंदिर में 70 वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित

वैशाली: महुआ । संसार में वैसे व्यक्ति निर्धनतम होते हुए भी धन्य है। जिसके हृदय में एकमात्र भगवान श्री हरि की भक्ति निवास करती है , क्योंकि उसके हृदय में भगवान भक्ति के सूत्र में आवद्ध होकर प्रवेश कर जाते हैं। उक्त बातें महावीर मंदिर महुआ में आयोजित 70 वें वार्षिक आयोजन में विशिष्ट अतिथि पद से प्रवचन करते हुए भागवत कथाकार पंडित कुशेश्वर चौधरी ने कही। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति मन  , बुद्धि , हृदय , प्राण आदि को निरुद्ध कर सच्चे हृदय से भगवान का स्मरण करता है। वैसे व्यक्ति के लिए भगवान का कहना है कि वे उसे कैसे छोड़ सकते हैं। भक्त उनका हृदय है और वे भक्तों के हृदय हैं। चुकी भक्त भगवान के अतिरिक्त किसी को नहीं जानता है अतः भगवान भी अपने भक्तों के अतिरिक्त किसी को नहीं जानते हैं। भगवान भक्त के आश्रय होते हैं। भक्त और भगवान दोनों ही अनुपम भाव से भावित होकर दोनों एक दूसरे का चिंतन भी करते हैं। अगर ऐसा कहा जाए भगवान भक्त के अधीन है तो अत्युक्ती नहीं क्योंकि ऐसा स्वयं भगवान ने ही कहा है। उक्त कार्यक्रम में भभुआ से पधारे मानस भारती संगीत के माध्यम से रामकथा का वाचन बड़े ही मार्मिक ढंग से कर रहे हैं। साथ ही गया से पधारे हुए श्री अरविंद मिश्र रामायणी का भी प्रवचन बड़ा ही रोचक एवं उपदेशात्मकता हो रहा है। कार्यक्रम के आयोजक श्री अनिल तिवारी ने कहा कि इस वर्ष छात्रों की परीक्षा के कारण अधिक विद्वान आमंत्रित नहीं किए जा सके हैं। कार्यक्रम का संचालन पंडित ब्रह्मानंद मिश्रा जी कर रहे हैं। आयोजन रविवार तक चलेगा।

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