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अरवल में वन विभाग के मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन


अरवल: लकड़ी/फर्नीचर
व्यवसायियों के विभिन्न समस्याओं को लेकर विश्वकर्मा चेतना मंच अरवल के द्वारा समाहरणालय अरवल में प्रदर्शन किया गया।प्रदर्शनकारी मंच के संयोजक अजय विश्वकर्मा के नेतृत्व में अरवल प्रखण्ड परिसर स्थित डॉo भीमराव अम्बेडकर प्रतिमा के पास से एकत्रित होकर जटिल वन कानूनों में संशोधन, भ्रष्ट वनपाल के विरुद्ध कार्रवाई, रैयती लकड़ियों को परमिट मुक्त करने सम्बन्धी मांगो के नारे लगाते हुये विभिन्न पंचायत के गाँवो से कारीगरी औजारों के साथ आये हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी समाहरणालय पहुँचा।प्रदर्शनकारी वन विभाग के मनमानी एवं दोहरी नीति के खिलाफ काफी आक्रोशित दिखे।प्रदर्शनकारी अरवल वन विभाग के मनमानी एवं लकडी व्यवसायियों के विभिन्न समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित जिला पदाधिकारी अरवल को सात सूत्री मांगों के साथ ज्ञापन सौंपा।विश्वकर्मा चेतना मंच के संयोजक अजय विश्वकर्मा सेंट्रल ट्रेड यूनियन के प्रदेश महासचिव के प्रदेश महासचिव अनिल शर्मा एवं जिला पार्षद नरेश मिस्त्री ने कहा कि बिहार सरकार के जटिल वन कानूनों के आड़ में वन विभाग के पदाधिकारियों के द्वारा लकड़ी व्यवसायियों को शोषण एवं दोहन किया जा रहा है।लकड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को किसानों के निजी जमीन से लकड़ी खरीदकर ले जाने पर भी अवैध वसूली के लिये परेशान किया जाता है।

जबकि बिहार के वर्तमान सरकार के द्वारा दस प्रजाति के लकड़ी को परमिट मुक्त एवं 18 इंच के आरामिल को लाइसेंस फ्री कर दिया गया है।उसको भी वन विभाग नहीं मानता है। जिला में मात्र दो ही लाईसेंसी आरामिल है।पूर्व से ही कोटा खाली है।जिससे फर्नीचर दुकानदारों एवं उपभोक्ताओं को काफी परेशानी होती है।अरवल में वनपाल लठैत रखकर अवैध वसूली करवाता है।विरोध करने पर छापामारी एवं मुकदमा में फंसाने की धमकी देता है।छापामारी के आड़ में लूट खसोट करता है।जबकि इस व्यवसाय में अधिकांश लोग गरीब एवं मजदूर है।माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में बिहार सरकार के पास 3200 आरामिलो के लाइसेंस का प्रस्ताव लम्बित है।भारतीय वन अधिनियम 1927 में बिहार संशोधन 19--1990 को निरस्त करने की आवश्यकता है।सभी रैयती लकड़ियों पर से परमिट व्यवस्था समाप्त करने पर किसान अधिक संख्या में वृक्ष लगायेंगे।वन विभाग के लापरवाही के कारण काफी संख्या में लगे वृक्ष एवं सरकारी जमीनों पर सूखे वृक्ष बर्बाद हो रहा है।राज्य में लगातार अतिपिछड़ा वर्ग के साथ जुल्म, अत्याचार एवं हत्या की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।

          यह सर्वविदित है कि पूरे बिहार में लकडी व्यवसाय पूंजीपतियों, माफियाओं एवं दबंगो के कब्जों में है।जबकि बढई विश्वकर्मा समाज मजबूर एवं मजदूर बनकर बदनाम है।ये लोग अपने खून पसीना के कमाई को सबसे पहले वन विभाग एवं पुलिस को देने के लिये मजबूर है।उसके बाद ही परिवार का जीविकोपार्जन करता है।प्रदर्शन में मुख्य रूप से रमोद शर्मा, बिनोद मिस्त्री, रामजी शर्मा, शिवशंकर शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, सुभाष शर्मा, मिथिलेश मिस्त्री, बखोरा यादव, राजकुमार प्रसाद शामिल थे।

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