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तेतरावां, जहां भगवान बुद्ध के साथ मनाई जाती है होली


नालंदा संवाददाता: ह
मारा देश तीज,त्योहारों और परंपराओं का देश है। ऐसा हीं एक रंगों का पर्व है होली,जहां जीवन और प्रकृति के साथ रंगों को धरातल पर उतारा जाता है। 


होली पर्व को देशभर में विभिन्न मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। ऐसे हीं एक परंपरा है नालंदा जिले के तेतरावां गांव की,जहां पालकाल से हीं ग्रामीण भगवान बुद्ध के साथ होली मनाते हैं।

ग्रामीण और गौरैया विहग फाउंडेशन के निदेशक राजीव रंजन पाण्डेय ने इस मौके पर बताया कि यह हमारे गांव में सदियों से चला आ रहा है,बुद्ध को ग्रामीण बाबा भैरो के नाम से पुकारते हैं। जिनपर सफ़ेद चादर,रंग,गुलाल लगाकर गांव की सुख,समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।


भगवान बुद्ध की काले पाषाण की ये प्रतिमा भूमिस्पर्ष मुद्रा में एक चबूतरे पर स्थापित है। ग्रामीणों का मानना है कि यह प्रतिमा संभवतः एशिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है। लेकिन अब तक विकास की ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है। इसके विकास हो जाने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और जिले के साथ बिहार का ख्याति बढ़ेगा।

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