माता-पिता की सेवा से होते हैं सभी मनोरथ पूर्ण: जीयर स्वामी
दावथ (रोहतास) चारोंधाम मिश्रा दावथ प्रखंड के डेढ़ गाँव में चल रही श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं में यज्ञ मंडल का परिक्रमा कर जीयर स्वामी जी महाराज से आशीष ले रहे है।महायज्ञ में प्रवचन देते हुए जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि माता-पिता की सेवा मानव का धर्म है। अपनी सेवा से माता-पिता को संतुष्ट करने वाला 33 करोड़ देवताओं को भी संतुष्ट कर लेता है। माता-पिता की सेवा नहीं करने वाले साधक से देवता भी प्रसन्न नहीं होते। माता-पिता देव के समान होते हैं।
शास्त्रों में भी कहा गया है कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के दरम्यान कहा कि भगवान कपिल अपने पिता कर्दम ऋषि के जंगल में जाने के बाद माता देवहूति की सेवा कर रहे थे। माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है। माता-पिता रूपी तीर्थ की उपेक्षा कर तीर्थाटन करना मानव के लिए कल्याणकारी नहीं है। शास्त्रों में माता-पिता का स्थान सर्वोच्च है। माता जन्म देने के साथ ही प्रथम गुरु का कार्य करती हैं। पिता पालनकर्ता होता है। इनसे पोषित होने के बाद ही हम दुनिया को जानते हैं।
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