जैविक खाद और दुग्ध उत्पादन का दस दिवसीय प्रशिक्षण ईरनी ग्राम में सुरु हुआ


आजमगढ़:
किसी शायर की पंक्ति है हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है तो बड़ी मुश्किल से होता है चमन में कोई दीदा-वर पैदा। देश भर में एक चर्चित नाम जो साहित्य जगत में ही अपना परचम नहीं लहराया बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी हजारों वंचित, समाज के मुख्य धारा से पिछड़े ग्रामीण परिवारों को धन दौलत का सौगात देकर नहीं वरन उनके अंदर हुनर, कौशल और आत्मबल जगा के आत्मनिर्भर, स्वालंबी और सशक्त बनाया। वह नाम है डॉ. अभिषेक कुमार जो ठेकमा ब्लॉक के एक संवेदनशील, क्रियाशील ब्लॉक मिशन प्रबंधक हैं। जिनके प्रयास ने यूनियन बैंक ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) आजमगढ़ के द्वारा ईरनी ग्राम में दुग्ध उत्पादन और जैविक खाद निर्माण का दस दिवसीय प्रशिक्षण सुरु कराया है। गरीबी उन्मूलन के इस विशेष कार्यक्रम में सम्मोपुर, ईरनी के 17 समूहों के कुल 35 समूह दीदियां प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। ज्ञात हो की इसी ग्राम में सरकारी गौशाला भी है, गौ उत्पादों के बिक्री से धनार्जन के दृष्टिगत प्रशिक्षणोंपरांत समूह दीदियां निसंदेह सरकार का उद्देश्य समूह से समृद्धि की ओर परिकल्पना को साकार करेगी। एक देशी गाय से तीस एकड़ प्राकृतिक पद्धति कृषि मॉडल को भी इस प्रशिक्षण के माध्यम से सीखने और समझने को मिलेगा।

मौके पर आए आरसेटी निदेशक एवम चंद्रेश पाठक ने बताया कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। ग्रामीण समुदाय को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए इस प्रकार के कौशल विकास प्रशिक्षण अति आवश्यक है। मौके पर ब्लॉक मिशन प्रबंधक रोशन राम और पंचायत सहायक संजू राव सहित चौंदौली के बरहनी से आए प्रशिक्षक मौजूद थें।

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