जी-20 का सफल संपन्न, वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती साख


बिक्रमगंज(रोहतास)
शार्कविश्व के 75% अर्थव्यवस्था के सहभागी राष्ट्रों का सम्मलेन भारत की मेजबानी में नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ | यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यह भारतीय कूटनीति की एक बड़ी कामयाबी है | विश्व के  20 सबसे ताकतवर देशों का समूह है, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, कूटनीतिक और पर्यावरण के  मुद्दे पर विचार विमर्श करते है और हल निकालने की हर संभव कोशिश करते  है | सभी ने भारत जैसे राष्ट्र पर विश्वास किया |  एक विकासशील राष्ट्र जो स्वयं अपनी आंतरिक परिस्थितियों से लड़ता रहा है, सुरक्षा प्रदान करने की कसौटी पर खरा उतर पायेगा ? जहाँ अमेरिका,ब्रिटेन.रूस,चीन समेत कई राष्ट्रों के प्रमुख सहभागी होने वाले हो वहां सुरक्षा की चिंता लाज़िमी है | भारत ने सुरक्षा ही नहीं वरन् वह माहौल दिया जहाँ समरसता, सतत विकास के मुद्दे,आतंकवाद का विरोध और सबसे बढ़कर दक्षिण के देशों (तृतीय दुनिया के देश ) की समस्याओं पर विचार-विमर्श  किया गया | 

             भारतीय कूटनीति को बड़ी सफलता इस रूप में मिली कि जहाँ वार्षिक शिखर सम्मलेन में  घोषणा पत्र अंतिम दिन जारी होता है, पहले दिन ही इस पर सहमति का एलान कर दिया गया | इस आलोक में भारतीय पत्रकारों की आम राय थी कि “ ये मोदी की कूटनीतिक एवं राजनीतिक इच्छा शक्ति की सफलता है |”

        जी -20 सम्मलेन के पहले ही दिन “नई दिल्ली घोषणा-पत्र” पर सहमति के साथ ही यूरोप को जोड़ने वाले भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे की घोषणा की गयी | इसकी महता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे वैश्विक बुनियादी ढांचे, निवेश के लिए साझेदारी,आवाजाही तथा सतत विकास को नई दिशा मिलेगी | हालाँकि इसका रोड मैप आने के बाद ही वास्तविकता का पता चल पायेगा,फिर भी बड़ी सोच, बड़ी पहल से इंकार नहीं किया जा सकता है | उन्होंने दक्षिण के देशों की बुनयादी ढांचे को सशक्त करने की चर्चा की | उल्लेखनीय है की प्रस्तावित कोरिडोर निर्माण में मुख्य भूमिका भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यू.ए.इ, यूरोपीय संघ, फ़्रांस,इटली, जर्मनी की होगी | इसके अलावा इस सम्मलेन में आतंकवाद पर चोट, अर्थव्यस्था को रफ़्तार देने के क्रम में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर जोर, महिला सशक्तिकरण हेतु नया कार्य समूह,जी 20 देशों को ऋण जाल से निकालने हेतु रणनीति की तैयारी तथा बेरोजगारी से लड़ने हेतु जी 20 देशों का डाटाबेस तैयार करने पर सहमति बनीं | जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघो का समावेश निश्चय ही तृतीय विश्व के देशों के प्रति भारत की चिंता को दर्शाता है | यहाँ एक बार फिर गुटनिरपेक्षता की नीति  के उद्देश्य एवं विश्व शांति में भारत की भूमिका परिलक्षित होती है | इस सम्मलेन की सबसे बड़ी चुनौती रूस-यूक्रेन युद्ध पर आम सहमती के साथ किसी एक पक्ष की भर्त्सना न करने की थी| भारत के प्रयास से यह सफल हुआ | इस सन्दर्भ में ऑस्ट्रलिया के ‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ के एक पत्रकार ने कहा---     “ वों हैरान है कैसे इस मुद्दे पर सहमति बन पायी|”

            विदेशी मीडिया की नज़रों से सम्मलेन के सन्दर्भ में प्रतिक्रियाएं स्वाभाविक है | द न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण या उसके हमलावर की निंदा नहीं की गयी बल्कि यूक्रेनी लोगों की पीड़ा पर शोक व्यक्त किया गया | वाशिंगटन पोस्ट ने भी यूक्रेन- रूस युद्ध पर नरम  रवैया का जिक्र किया | चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने जी-20 में  अफ़्रीकी देशों को शामिल करने की तारीफ की | पाकिस्तानी अख़बार डॉन ने भारत- मध्य-पूर्व कोरिडोर की खबर को प्रमुखता से छापा | उल्लेखनीय है की अमेरिकी अख़बारों को कहीं न कहीं यूक्रेन-रूस पर सहमति का कसक अवश्य था |

        भारत की इस बड़ी सफलता के बाद अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओ के सन्दर्भ में बड़ी भूमिका की आशा की जा रहीं हैं | यूक्रेन –रूस के मुद्दे पर जब दुनिया दों गुटों में बटी थी उस पर आम सहमति करा लेना एक परिपक्व कूटनीति का परिचायक है | यह स्पष्ट दबाव  है की वैश्विक पटल पर भारत को सुना जाना चाहिए | अफ़्रीकी राष्ट्रों की सदस्यता से, भारत के प्रति तृतीय विश्व के राष्ट्रों के  समर्थन का आधार मजबूत हुआ है , जिससे हमारी सकारात्मक छवि उभर कर सामने आयी है | वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर को मूर्त रूप देने के क्रम में आगे बढ़ा गया तो वैश्विक समुदाय को इसकी पहल का श्रेय भारत को देना होगा|

                  इस सम्मलेन के उपरांत दुनिया के देशों में नेतृत्व की धारणा के सम्बन्ध में बदलाव होगा | आज तक अमेरिका,रूस,चीन जैसे राष्ट्रों को ही नेतृत्वकर्ता के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर स्वीकार किया जाता  रहा है | जी -20 की सफलता के बाद भारत भी इसका प्रबल दावेदार  हो गया है |

             सम्मेलन की सफलता के बाद बड़े निवेश की आशाएँ की जा सकती हैं | भारत न केवल क्रय शक्ति के अनुसार विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थवयवस्था है वरन् 5 ट्रिलियन इकॉनमी की तरफ भी अग्रसर है | आधारभूत संरचनाओं के साथ-साथ सुरक्षा के मानक कसौटी पर खरा उतरकर बहुराष्ट्रीये कंपनियों को एक बार पुनः सोचने पर विवश किया है | जी-20 में शामिल देश दुनिया की अर्थव्यवस्था में 75% की भागीदारी रखते हैं, अतः भारतीय कूटनीति के द्वारा अमेरिका,चीन,एवं रूस जैसे देशों के साथ निवेश बढ़ाने की है ,जिसमें सफलता के आसार साफ –साफ देखे  जा सकते हैं |    

        इस सम्मलेन के बाद भारत की मध्यस्थ की हैसियत प्राप्त हुई | दरअसल  अबतक भारत को इस तरह का मौका ही नहीं मिला था कि वो अपनी कूटनीतिक क्षमता को दिखा सके | यूक्रेन के मूद्दे पर उसने समान दूरी बनाये रखते हुए अपनी मध्यस्थ की योग्यता को साबित किया है |

                    अब भारत जी-20, ब्रिक्स, क्वाड का हिस्सा है इसके साथ कई वैश्विक संस्थाओं का सदस्य है | कई समूहों का उसे समर्थन प्राप्त है ,अतः मोल-भाव की क्षमता में निश्चय ही वृद्धि हुई है | यह कहना सत्य प्रतीत होता है कि यह भारत का समय है जों सभी विकासशील राष्ट्रों के लिए  गौरव की बात है | इस सम्मेलन में   भारत ने बड़ी विनम्रता से विकसित देशों को एक तरफ़ा फैसला नहीं लेने का सन्देश  दे दिया है जो हमारी वैश्विक सोच को स्पष्ट करता है।

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