नालंदा संवाददाता: पर्यावरण और खाद्य श्रृंखला में धरातल पर मौजूद समस्त जीवों का अहम योगदान है। जिनमें हमारे आसपास मौजूद तितली का भी अपना अहम भूमिका है। तितली परागकण में सहयोगी होने के कारण किसानों का मित्र भी कहलाता है। ये बातें शुक्रवार को बिग बटरफ्लाई माह के अवसर पर राजकीयकृत विकास +2 विद्यालय भोभी,नगरनौसा में बच्चों को संबोधित करते हुए गौरैया विहग फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक राजीव रंजन पाण्डेय ने कही।
रसायनों से पड़ रहा बुरा असर
हमारे देश में करीब 1500 प्रजातियां तितलियों की पाई जाती है। ये पूर्णतः शाकाहारी होते हैं,जो पेड़ पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। लेकिन विगत दो दशकों से कृषि कार्य में हो रहे कीटनाशकों के प्रयोग से इसकी आबादी पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
आबादी में कमी के मुख्य कारण
1.जंगलों की अंधाधुंध कटाई
2.नगरों का तीव्र विकास
3.उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग
4.जेनेटिक मोडीफाइड बीज से खतरा
5.आसपास तेज आवाज़
6.प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन
7.प्राकृतिक आवास की हानि
स्वाथ्य पारिस्थितिकी तंत्र का संकेतक
वहीं विद्यालय के प्राचार्य धीरेंद्र कुमार ने कहा कि तितली स्वस्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक है। हमारे आसपास स्वच्छ और सुंदर वातावरण के निर्माण में तितली की बड़ी भूमिका है। हम सभी को इसके संरक्षण के लिए अपना योगदान देना आवश्यक है।
निम्न पौधों से मिलेगा संरक्षण
तितली के संरक्षण और आबादी में बढ़ोतरी हेतु करी पत्ता,शरीफा,अरंडी,रेशमी कपास,कैशिया,नींबू, चम्पा,स्पाइक, जामिका, ब्लू चीप,दहलिया जैसे अन्य पौधों को अपने आसपास लगाना आवश्यक है।
इस कार्यक्रम के आयोजन में हिलसा के पर्यावरण प्रेमी अमन पटेल,आनंद कुमार,अर्चना कुमारी,निशा कुमारी,अंशु कुमारी के अलावे सैंकड़ों छात्र छात्रा मौजूद थे।