सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
अन्न त्याग और निर्जला उपवास का जीवित पुत्रीका यानि जिउतिया पर्व शुक्रवार को नियमित रूप से महिलाओं द्वारा शुभारंभ हो गई है । जिसमे महिलाओं द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी अपने पुत्र की लंबी आयु एवं उसके सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए बिना अन्न जल ग्रहण किये रखी गई है तथा इस पर्व का समापन शनिवार को पारण के साथ करेंगी । जिउतिया मिथिलांचल की नेपाली विवाहित महिलाओं ओर पुर्वी मध्य नेपाल की थारु महिलाओं की एक महत्वपूर्ण पर्व है । आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की प्रदोष काल में होने वाले यह जिउतिया पर्व अपने पुत्रों की सलामती और लंबी आयु के लिए किया जाता है ।
पंचमुखी हनुमान मंदिर बटिया के विद्वान पंडित श्री मिथलेश पांडेय ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 24 घंटे तक निर्जला उपवास रखकर किए जाने वाले इस जिउतिया पर्व से ना सिर्फ संतान को लंबी आयु ओर स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है बल्कि संतान दीर्घायु होते हैं एवं संतान पर आने वाला सभी संकट टल जाता है । श्री पांडेय ने आगे बताया कि सनातन धर्म में जिउतिया पर्व का विशेष महत्व है , इस व्रत की पुन्य प्राप्ति से व्रती मनोवांछित फल को प्राप्त करते हैं । उन्होंने बताया कि कालान्तर में भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को अपना सर्वस्व पुन्य फल देकर जिवित कर दिए थे । तभी से इस पर्व को भारत वर्ष की सभी महिलाएं अपनी पुत्र की लंबी आयु ओर उसकी जीवन रक्षा के लिए निर्जला उपवास रखकर करती आ रही हैं ।