ब्यूरो रिपोर्ट बीरेंद्र कुमार
सनातन धर्म संस्कृति में ग्रहणों का विशेष महत्व है।चंद्रग्रहण आश्विन शुक्लपक्ष पूर्णिमा शनिवार/रविवार 28अकटूबर2023 की रात 29/10 को पड़ने वाले खंडग्रास चंद्र ग्रहण जो भारत में भी साथ दक्षिण पश्चिम यूरोप, बंगलादेश, पाकिस्तान, अस्ट्रेलिया, अफ्रिका,उतरी व दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर आदि में दृश्य होंगे, वर्ष का अंतिम ग्रहण होगा। इंडियन एस्ट्रोलाजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट इंडिया ® धर्मपुर, जसीडीह, देवघर-वैधनाथधाम, झारखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष- महामंडलेश्वर महर्षि डॉ जाह्नवी "राज़-ज्योतिष" अधिवक्ता,भविष्यवक्ता,नास्त्रेदमस ने कहा यह आंशिक चंद्र ग्रहण भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार मध्यरात्रौपरान्त 01:05 मिनट से शुरू मध्य 1,44 एवं मोक्ष रात्रि 02,24 मिनट में कुल ग्रहण की अवधि 01धंटे 18 मिनट की होगी।
चंद्रग्रहण का सूतक 9 नौ घंटे पूर्व प्रारम्भ होता है।जो शनिवार को अपराह्न के बाद 04,05 बजे से होगा। सूतक काल में भोजन,शयन, मूर्ति स्पर्श, आलिंगन आदि नहीं करना चाहिए।काल परिस्थिति अनुसार बालक, वृद्ध,आसक्त,रोगी और असमर्थ जनों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।
सभी देवालयों के पट सूतक काल से ही धर्मार्थ दर्शन पूजन केलिए बंद रहेंगे।
ग्रस्यमाने भवेतस्नानं ग्रस्ते होमो विधीयते।
मुच्यमाने भवेद् दानं मुक्ते स्नानं विधीयते।।
अर्थात् ग्रहण प्रारम्भ होने से पहले स्नान, ग्रहण के समय हवन-यज्ञ,दान पुण्य कर्मो को करना तथा ग्रहण के समाप्ति के बाद स्नान करने चाहिए क्योंकि ग्रहण के मोक्ष के बाद स्नान करने से ही धर्मार्थ सूतक की निवृत्ति होती है।
विशेष ज्ञानवर्धक जानकारी=गर्भवती महिलाओं को ईश्वर,अल्लाह की स्तुति विनती प्रार्थना करते हुए आशिर्वाद प्राप्त करनी चाहिए। इन्हें चाकू आदि से फल, मूल, सब्जी, कैंची से वस्त्र आदि नहीं काटने चाहिए तथा सोना भी वर्जित है। ग्रहण काल को ईश्वर की आराधना उपासना में व्यतीत करनी चाहिए क्योंकि प्रकृति के विरुद्ध आचरण का प्रभाव दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। दुष्प्रभाव की निवृत्ति के लिए सत्याचरण,उदर पर गेरू का लेपन तथा सिर पर साड़ी का पल्ला ओढ़ना चाहिए। धार्मिक ग्रंथ,पाठ पुस्तकें पढ़नी चाहिए। हरि ॐ बोले हरि ॐ शरणम्।
बारह राशियों में
मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ राशियों के लिए अतिशुभ कारी होंगे।
मेष, वृषभ, सिंह , धनु हेतु सामान्य
तुला, कन्या,मकर व मीन के लिए सावधानी से काम करें।