अरवल जिला ब्यूरो बीरेंद्र कुमार की रिपोर्ट
जनगणना रिपोर्ट से कई जातियों में है आक्रोश।।
अतिपिछड़ा समाज में जातियों की संख्या बढ़ी हैं और आबादी घटा है ऐ कैसे हो सकता हैं।।।
- जाति जनगणना से अतिपिछड़ा समाज को राजनैतिक मनोबल तोड़ने का साजिश हुआ है इससे कई जातियों में आक्रोश है उक्त बातें अरवल जिला के पुर्व जिला परिषद सदस्य सह चंद्रवंशी महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि बिहार सरकार ने जानबुझ कर एक साजिश के तहत अतिपिछड़ा समाज के आबादी मात्र 36प्रतिशत बताया है, खास कर के चंद्रवंशी, नाई, बडही, कुम्हार, बिंद, बेलदार, गरेड़ी, भाट, माली, हलवाई, दर्जी, बहेलिया सहित कई जातियों का आबादी कम दिखाया गया है ताकि इन जातियों में राजनैतिक मनोबल कमजोर हो सके चुकी हाल के दिनो में अतिपिछड़ा समाज के इन जातियों में राजनैतिक चेतना जागृत हो रहा था और इन जातियों द्वारा राजनैतिक हिस्सेदारी की मांग उठने लगा था। 1931 के जनगणना में अतिपिछड़ा की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा था। जबकि 1931 के जनगणना के बाद कई जातियों को अतिपिछड़ा समाज में जोड़ा भी गया है। अतिपिछड़ा समाज में जातियों की संख्या बढ़ी हैं और आबादी घटा है ऐ कैसे हो सकता हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार पर पूर्व जिला पार्षद ने आरोप लगाया है कि अतिपिछड़ों को जिन (भूत) के संज्ञा देने वाले लालू प्रसाद यादव के दवाब में आकर अतिपिछड़ा जाति के जनगणना में आबादी कम दर्शाया गया है, चुकी लालू यादव अतिपिछड़ा वोट को जिन (भूत) बोला करते थे और वही जिन जब जागा था तो लालू यादव को 2005 में सता से बेदखल किया था। लालू यादव अपने पंद्रह वर्षों के शासन में अतिपिछड़ा को आरक्षण नहीं होने दिया था। अतिपिछड़ा के एक अंगड़ाई ने लालू यादव को सता से बाहर किया था और इस बार इस जानगणना साजिश का बदला अति पिछड़ा समाज वोट के ताकत से नितीश -लालू को अपना राजनैतिक हैसियत दिखाएगा।